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परीक्षा की दृष्टि से राज्यसभा | सम्पूर्ण जानकारी

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● संविधान के अनुच्छेद 84 में संसद की सदस्यता के लिए अर्हताएं निर्धारित की गई हैं।
●  निरर्हताएं  :-

 संविधान के अनुच्छेद 102 में यह निर्धारित किया गया है कि कोई व्यक्ति संसद के किसी सदन का सदस्य चुने जाने के लिए और सदस्य होने के लिए निरर्हित होगा-

(क)यदि वह भारत सरकार के या किसी राजय की सरकार के अधीन, ऐसे पद को छोड़कर, जिसको धारण करने वाले का निरर्हित न होना संसद ने विधि द्वारा घोषित किया है, कोई लाभ का पद धारण करता है

(ख)यदि वह विकृतचित है और सक्षम न्यायालय की ऐसी घोषणा विद्यमान है

(ग)यदि वह अनुन्मोचित दिवालिया है

(घ)यदि वह भारत का नागरिक नहीं है या उसने किसी विदेशी राज्य की नागरिकता स्वेच्छा से अर्जित कर ली हे या वह किसी विदेशी राज्य के प्रति निष्ठा या अनुषक्ति को अभिस्वीकार किए हुए है

(ड.)यदि वह संसद द्वारा बनाई गई किसी विधि द्वारा या उसके अधीन इस प्रकार निरर्हित कर दिया जाता है।

●  संविधान के अनुच्छेद 80 में राज्य सभा के सदस्यों की अधिकतम संख्या 250 निर्धारित की गई है, जिनमें से 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा नामनिर्देशित किए जाते हैं और 238 सदस्य राज्यों के और संघ राज्य क्षेत्रों के प्रतिनिधि होते हैं।

● राज्य सभा के सदस्यों की वर्तमान संख्या 245 है, जिनमें से 233 सदस्य राज्यों और संघ राज्यक्षेत्र दिल्ली तथा पुडुचेरी के प्रतिनिधि हैं और 12 राष्ट्रपति द्वारा नामनिर्देशित हैं।

● किसी सदस्य के कार्यकाल की समाप्ति पर सेवानिवृत्ति को छोड़कर अन्यथा उत्पन्न हुई रिक्ति को भरने के लिए कराया गया निर्वाचन 'उप-चुनाव' कहलाता है।

● राष्ट्रपति द्वारा नामनिर्देशित किए जाने वाले सदस्य ऐसे व्यक्ति होंगे जिन्हें साहित्य, विज्ञान, कला और समाज सेवा जैसे विषयों के संबंध में विशेष ज्ञान या व्यावहारिक अनुभव है।

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● संविधान की चौथी अनुसूची में राज्य सभा में राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों को स्थानों के आवंटन का उपबंध है।

● भारत के उपराष्ट्रपति राज्य सभा के पदेन सभापति हैं। राज्य सभा अपने सदस्यों में से एक उपसभापति का भी चयन करती है। 

राज्य सभा में उपसभाध्यक्षों का एक पैनल भी होता है, जिसके सदस्यों का नामनिर्देशन सभापति, राज्य सभा द्वारा किया जाता है।

सभापति और उपसभापति की अनुपस्थिति में, उपसभाध्यक्षों के पैनल से एक सदस्य सभा की कार्यवाही का सभापतित्व करता है।

● वर्तमान में राज्यसभा सदस्यों की संख्या कितनी है— 245
● राज्यसभा के लिए प्रत्येक राज्य के प्रतिनिधियों का चुनाव कौन करता है— विधानसभा के निर्वाचित सदस्य
● राज्यसभा में राज्यों का प्रतिनिधित्व किस पर निर्भर करता है— राज्य की जनसंख्या पर
● राज्यसभा में किस राज्य के प्रतिनिधियों की संख्या सर्वाधिक है— उत्तर प्रदेश
● राज्यसभा सदस्य का कार्यकाल कितना होता है— 6 वर्ष
● राज्यसभा का सदस्य बनने के लिए न्यूनतम आयु कितनी होनी चाहिए— 30 वर्ष
● किस सदन को भंग नहीं किया जा सकता है— राज्यसभा
● लोकसभा व राज्यसभा में गणपूर्ति संख्या क्या है— कुल सदस्य संख्या का 1/10 भाग
● वह कौन-सा सदन है जिसका अध्यक्ष उस सदन का सदस्य नहीं होता है— राज्यसभा
● लोकसभा द्वारा पारित धन विधेयक राज्यसभा को प्राप्त होने के कितने दिन बाद तक लोकसभा को लौटाया जा सकता है— 14 दिन
● राज्यसभा एक स्थायी सदन है क्यों— क्योंकि यह कभी भंग नहीं होता और इसके एक तिहाई सदस्य प्रति दो वर्ष बाद सेवानिवृत्त हो जाते हैं
● राज्यस्भा के सदस्यों को नामित करने का अधिकार किसको है— राष्ट्रपति को
● राज्यसभा की प्रथम महिला सचिव कौन थी— वी. एस. रमादेवी
● राज्यसभा का पहली बार गठन कब हुआ— 3 अप्रैल, 1952 ई.
● राज्यसभा की प्रथम बैठक कब हुई— 13 मई, 1952 ई.
● भारत में किसकी स्वीकृति के बिना कोई भी सरकारी खर्चा नहीं किया जा सकता है— संसद
● राज्यसभा के सभापति की अनुपस्थिति में राज्यसभा का संचालन कौन करता है— उपसभापति
● राज्यसभा के द्विवार्षिक चुनावों को अधिसूचना कौन जारी करता है— निर्वाचन आयोग
● केंद्रीय संसद राष्ट्रहित में राज्य सूची के विषयों पर कानून कब बना सकती है— राज्यसभा में उपस्थित सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत पर
● राज्यसभा की दो बैठकों के मध्य समायांतराल कितना होना चाहिए— अधिकतम 6 माह
● किन राज्यों का राज्यसभा में प्रतिनिधित्व नहीं हैं— अंडमान-निकोबार, चंडीगढ, दादरा-नगर हवेली, लक्षद्वीप एवं दमन-दीव
● राज्यसभा के प्रति उत्तरदायी कौन नहीं होता है— मंत्रीपरिषद
● भारत के कौन-से प्रधानमंत्री राज्यसभा के सदस्य रहे हैं— श्रीमति इंदिरा गाँधी व मनमोहन सिंह

●  राज्य सभा में वर्ष 1969 तक वास्तविक अर्थ में विपक्ष का कोई नेता नहीं होता था। उस समय तक सर्वाधिक सदस्यों वाली विपक्षी पार्टी के नेता को बिना किसी औपचारिक मान्यता, दर्जा या विशेषाधिकार दिए विपक्षी नेता मानने की प्रथा थी। विपक्ष के नेता के पद को संसद में विपक्षी नेता वेतन और भत्ता अधिनियम, 1977 द्वारा अधिकारिक मान्यता प्रदान की गई। इस अधिनियम के द्वारा राज्य सभा में विपक्षी नेता, राज्य सभा का एक ऐसा सदस्य होता है जो कुछ समय के लिए राज्य सभा के सभापति द्वारा यथा मान्य सबसे अधिक सदस्यों वाले दल की सरकार के विपक्ष में होता है। इस प्रकार विपक्ष के नेता को तीन शर्तें पूरी करनी होती हैं, नामश: (i) उसे सभा का सदस्य होना चाहए (ii) सर्वाधिक सदस्यों वाले दल की सरकार के विपक्ष में राज्य सभा का नेता होना चाहिए और (iii) इस आशय से राज्य सभा के सभापति द्वारा उसे मान्यता प्राप्त होनी चाहिए।

धन विधेयक ( अनुच्छेद 110 )

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केवल लोक सभा में पुर:स्थापित किया जा सकता है। इसके उस सभा द्वारा पारित किए जाने के उपरान्त इसे राज्य सभा को उसकी सहमति अथवा सिफारिश के लिए पारेषित किया जाता है। ऐसे विधेयक के संबंध में राज्य सभा की शक्ति सीमित है। राज्य सभा को ऐसे विधेयक की प्राप्ति से चौदह दिन के भीतर उसे लोक सभा को लौटाना पड़ता है। यदि यह उस अवधि के भीतर लोक सभा को नहीं लौटाया जाता है तो विधेयक को उक्त अवधि की समाप्ति पर दोनों सदनों द्वारा उस रूप में पारित किया गया समझा जाएगा जिसमें इसे लोक सभा द्वारा पारित किया गया था। राज्य सभा धन विधेयक में संशोधन भी नहीं कर सकती; यह केवल संशोधनों की सिफारिश कर सकती है और लोक सभा, राज्य सभा की सभी या किन्हीं सिफारिशों को स्वीकार अथवा अस्वीकार कर सकेगी।

■◆  इन महत्त्वपूर्ण विषयों के संबंध में दोनों सभाओं (लोकसभा - राज्यसभा ) को समान शक्तियां प्राप्त हैं वे इस प्रकार हैं:- राष्ट्रपति का निर्वाचन तथा महाभियोग, उपराष्ट्रपति का निर्वाचन, आपातकाल की उद्घोषणा का अनुमोदन, राज्यों में संवैधानिक तंत्र की विफलता से संबंधित उद्घोषणा और वित्तीय आपातकाल। विभिन्न संवैधानिक प्राधिकरणों आदि से प्रतिवेदन तथा पत्र प्राप्त करने के संबंध में, दोनों सभाओं को समान शक्तियां प्राप्त हैं।

◆● महासचिव की नियुक्ति राज्य सभा के सभापति द्वारा की जाती है और उनका रैंक संघ के सर्वोच्च सिविल सेवक के समतुल्य होता है। 

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